MP NEWS : राजधानी में आज निकलेगी जगन्नाथ रथ यात्रा, तैयारी पूरी, शाम 4 बजे महापौर करेंगी यात्रा का शुभारंभ

Jagannath Rath Yatra 2025: भोपाल : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आज भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलने जा रही है। जिसको लेकर तैयारियां जहां पूरी कर ली गई है। तो वही इस यात्रा को लेकर भक्तों में खासा उत्साह है। यात्रा का शुभारंभ महापौर मालती राय शाम 4 बजे आरती कर करेंगी। तो वही इस यात्रा में बड़े तादाद में श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान है। जिसको देखते हुए जगहे जगहे पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए है।
27 फीट ऊंचे हाइड्रोलिक रथ पर सवार होकर निकलेंगे प्रभु
बता दें कि रथ यात्रा भोपाल के पटेल नगर स्थित इस्कॉन मंदिर द्वारा निकाली जाएगी। जिसमे सवार होकर भगवान श्रीजगन्नाथ, बलराम और देवी सुभद्रा भ्रमंड पर निकलेंगी। यह यात्रा भोपाल टॉकीज से शुरू होकर हमीदिया रोड, भारत टॉकीज, रोशनपुरा, रंगमहल और न्यू मार्केट होते हुए गिजरेगी। इस बार रथ को पुरी, ओडिशा के नंदीघोष रथ की तर्ज पर बनाया गया है। 27 फीट ऊंचा, 24 फीट लंबा और 17 फीट चौड़ा यह रथ लोहे की मजबूत फाउंडेशन पर खड़ा है, जबकि इसका ढांचा सागौन की लकड़ी से निर्मित है। दो टन लोहे और 50 घन फीट लकड़ी से निर्मित इस रथ में छह फीट ऊंचे लकड़ी के विशाल पहिए लगाए गए हैं।
रथ की विशेषता
• रथ की ऊँचाई 27 फीट, चौड़ाई 17 फीट तथा लंबाई 24 फीट है।
• इसका फाउंडेशन लोहे से एवं कैनोपी व ढांचा सागौन की काष्ठ से निर्मित है।
• रथ निर्माण में लगभग 2 टन लोहे और 50 घन फीट सागौन की लकड़ी का उपयोग किया गया है।
• रथ में 6 फीट के विशालकाय लकड़ी के पहिए लगे हैं।
• रथ की ऊँचाई को आवश्यकता अनुसार हाइड्रोलिक लीवर प्रणाली द्वारा समायोजित किया जा सकता है।
• कैनोपी पर सुंदर वास्तुशिल्पीय नक्काशी एवं रंगीन कपड़े की सजावट की गई है।
सोने की झाड़ू से क्यों होती है सफाई?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सोना सबसे पवित्र धातु माना जाता है, जिसका उपयोग देवी-देवताओं की पूजा में खास तौर पर किया जाता है। जगत के नाथ जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू होने से पहले, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों के रास्ते को सोने की झाड़ू से साफ किया जाता है और वैदिक मंत्र पढ़े जाते हैं। यह परंपरा भगवान के स्वागत का प्रतीक होती है और यह दिखाती है कि भगवान के लिए सबसे अच्छा किया जाना चाहिए। यह झाड़ू केवल राजघराने के लोग ही चलाते हैं। इसका उद्देश्य है भगवान के मार्ग को पवित्र, सकारात्मक और शुभ बनाना।
यात्रा से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार देवी सुभद्रा ने पुरी शहर देखने की इच्छा व्यक्त की थी। तब उनके भाई भगवान जगन्नाथ और बलभद्र उन्हें रथ में बैठाकर पुरी नगर के दर्शन कराने निकले थे। मार्ग में वे गुंडिचा मंदिर (अपनी मौसी का घर) पहुंचे और वहां सात दिन ठहरे। इस घटना की स्मृति में हर साल रथ यात्रा निकाली जाती है।
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